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दुखों का लोकतंत्र| ⛳️

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  05:25 am मैं अक्सर हँसते हुए चेहरे देखती हूँ, मुस्कुराते लोग मिलते हैं, और हर दिन कोई न कोई कहता है  “यार, ज़िंदगी बहुत अजीब है…” मेरी आजकल बहुत सारे लोगों से बात होती है। कुछ ऐसे जो खुद को मज़बूत दिखाते हैं, कुछ ऐसे जो अपने दुख छुपाते हैं। एक लड़की ने उसे बताया. “मेरे पापा मुझसे बहुत प्यार करते हैं, पर हमेशा डाँटते हैं। न कुछ पूछते हैं, न समझते हैं… पर कहते हैं, ‘हमारी सख्ती ही हमारा प्यार है।” एक और लड़की थी, जिसका बॉयफ्रेंड कहता था, “हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।” लेकिन जब सच में साथ निभाने का मौका आया, वो पीछे हट गया। अब चैट पर reply भी नहीं करता। उसका आख़िरी मैसेज था  “Please understand, I need space.” कोई लड़का ऐसा भी था, जो अपनी परीक्षा में हर साल बस थोड़ा सा पीछे रह जाता था। उसने 3-4 साल मेहनत की थी, मगर अब थकने लगा था। उसकी आँखें कुछ कहती थीं … “मेहनत की बेइज़्ज़ती हो रही है…” किसी को घर का खाना पसंद नहीं आता, क्योंकि उसमें स्वाद नहीं है।कोई घर के एक निवाले के लिए तरस जा रहा  और कोई खाना ही छोड़ रहा है, ताकि पैसे बचा सके। किसी को अपना कमरा छोटा लग रहा है, तो ...